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Ashutosh Maharaj: Mahayogi ka Maharasya (Bloomsbury Revelations Ser.)

by Mr Sandeep Deo

Mahayogi Ashutosh Maharaj: The Master and the Mystic is about Shri Ashutosh Maharaj Ji, whose disciples have a firm conviction that he entered the state of samadhi on 28 January 2014. The medical world considers him to be clinically dead but his disciples strongly believe that Maharaj Ji will return to his body at a stipulated time; the reason being, before going into samadhi, he himself had revealed that he will be entering into this state. Not only this, even after assuming this state, he has revealed this fact to his disciples by manifesting in their inner, divine visions a number of times. That's why the disciples of Shri Ashutosh Maharaj Ji have preserved his body in a deep freezer for the last two years. It is an undeniable truth that Ashutosh Maharaj Ji is a secret-revealer, who unveils the divine light of the Supreme Lord within the inner being of his disciples by opening their Third Eye. He initiates his disciples into Brahm Gyan, which has been mentioned in the Vedas and the Upanishads. After all, who is not familiar with the Third Eye of Lord Shiva! Ashutosh Maharaj Ji clearly states that 'first behold God with your own eye (Third Eye), then repose your faith in any Guru.' Today, he has millions of followers all across the world. This is the first book written on Ashutosh Maharaj Ji. This book will reveal to the world as to who is this man who has once again brought into discussion the Vibhutipaad section of the Patanjali Yoga Sutras. The Vibhutipaadsection of the Patanjali Yoga Sutras talks about the different vibhutis (spiritual powers) acquired by a supreme yogi after he exercises his control on nature. One of these powers is the ability to renounce one's body for a long time. This book is an attempt to present the vivid persona of Shri Ashutosh Maharaj ji along with a lucid explanation of the same ancient knowledge, which is soon becoming extinct.

Bhugol B.A (Hons.) Sem-III -Ranchi University, N.P.U

by Santosh Dangi Chaturbhuj Mamoria

Bhugol text book According to the Latest Syllabus based on Choice Based Credit System (CBCS) for paper 2 (Core 6) and Paper 3 (Core 7) B.A (Hons.) Sem-III from Ranchi University, Nilambar Pitambar University in hindi.

Bilt To Last: बिल्ट टू लास्ट

by Jim Colins

बिल्ट टू लास्ट इस किताब मे अपेक्षित कंपनी की जानकारी और उनके बारे मे संशोधन लेखक ने किया है और बडी बडी कंपनीयो का 6 साल का अनुभव बताया गया है, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस। उन्होंने अठारह कंपनियों को लिया जिन्हें उन्होंने 'दूरदर्शी' के रूप में चिह्नित किया, और यह पता लगाया कि उन्हें बाकी के अलावा क्या सेट करता है।

Pratinidhi Kahaniyan-Rajkaml Chaudhry

by Rajkamal Choudhary

प्रस्तुत संकलन की कहानियाँ रोटी, सेक्स एवं सुरक्षा के जटिल व्याकरण से जूझते आम जनजीवन की त्रासदी की कथा कहती हैं । राजकमल की मैथिली कहानियों के पात्र जहाँ सामाजिक मान्यताओं के व्‍यूह में फँसकर भी अपनी परंपराओं के मानदण्ड में परहेज से रहते हैं वहाँ इनकी हिन्दी कहानियों के पात्र महानगरीय जीवन के कशमकश में टूट-बिखर जाते हैं । यौन विकृतियाँ इनकी मैथिली एवं हिन्दी-दोनों भाषाओं की कहानियों का प्रमुख विषय है और दोनों जगह यह अर्थतंत्र द्वारा ही संचालित होती हैं । ये कहानियाँ कहानीकार की गहन जीवनानुभूति और तीक्ष्‍णतम अभिव्यक्ति का सबूत पेश करती हैं । राजकमल की कहानियाँ न केवल विषय के स्तर पर, बल्कि भाषा एवं शिल्प की अन्यान्य प्रविधियों के स्तर पर भी एक चुनौती है जो कई मायने में सराहनीय भी है और ग्रहणीय भी । इनकी कहानियों का सबसे बड़ा सच है कि जहाँ से इनकी कहानी खत्म होती है, उसकी असली शुरुआत वहीं से होती है ।

Itihas Darshan - Ranchi University, N.P.U

by Prof. Chaube

इतिहास मनुष्य का अध्ययन है, उसका अध्ययनकर्ता मनुष्य है और जिस मूल सामग्री पर वह आश्रित है वह मनुष्य द्वारा संचित निधि होती है। उपलब्ध स्रोत सामग्री की अपूर्णता के अतिरिक्त इतिहासकार समसामयिक परिस्थितियों की उपेक्षा नहीं कर सकता। अपूर्णताओं के बावजूद भी इतिहासकार सत्य की खोज के प्रति समॢपत होता है। इस कार्य के लिए जिस विशेष प्रकार के अध्ययन, चिन्तन और अनुशासन की आवश्यकता होती है, उसकी अपेक्षा एक प्रशिक्षित इतिहासकार से ही करनी चाहिए। स्रोत सामग्री के चयन, विश्लेषण और प्रस्तुतीकरण के कुछ आधारभूत सिद्धान्त सभी इतिहासकारों पर लागू होते हैं। इतिहास-दर्शन पर लिखित प्रस्तुत ग्रन्थ इस संदर्भ में एक बहुत बड़े अभाव का एक सराहनीय प्रयास है। इतिहास-दर्शन से सम्बन्धित प्राय: सभी विषयों का इस पुस्तक में विद्वत्तापूर्ण विवेचन किया गया है। इतिहास-दर्शन के व्यापक और गहन अध्ययन के लिए यह पुस्तक बड़ी उपयोगी होगी।

Itihas B.A (Hons.) Sem-II -Ranchi University, N.P.U

by A. K. Chaturvedi

Itihas text book for B.A (Hons.) Sem-II from Ranchi University, Nilambar Pitambar University in hindi.

Chinta Chodo Sukh Se Jiyo - Novel: चिंता छोड़ो सुख से जियो - उपन्यास

by Dale Carnegie

प्रस्तुत पुस्तक ‘चिंता छोड़ो; सुख से जियो’ में सुप्रसिद्ध सेल्फ-हेल्प पुस्तकों के लेखक डेल कारनेगी ने अपने उन निजी अनुभवों को साझा किया है; जहाँ वे स्वयं अपने जीवन की परिस्थितियों से असंतुष्ट व परेशान थे। लेकिन समय के साथ उन्होंने अपने नजरिए को बदलकर सकारात्मक सोच को अपनाया। इस पुस्तक के माध्यम से पाठकों को एक खुशहाल और तनावमुक्त जीवन की राह के विभिन्न आयाम सुझाए हैं। इस पुस्तक में दिए गए कुछ क्रियात्मक सुझावों और नियमों को जीवन में अपनाने से कोई भी व्यक्ति अपना आज और आनेवाला कल ज्यादा खुशनुमा बना सकता है।

Hindi Semester 1 & 2 class 5 - GSTB: हिंदी सेमेस्टर 1 और 2 कक्षा 5 - जीएसटीबी

by Dr Sanjay Talsania Mr. Ashwin Patel Shri R Bhavsar

कक्षा 5 हिन्दी (द्वितीय भाषा) का यह पाठ्यपुस्तक छात्रों, अध्यापकों एवं अभिभावकों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए पाठ्यपुस्तक मंडल आनंद का अनुभव करता है। प्रस्तुत पाठ्यपुस्तक में यातायात (चित्रपाठ)यातायात के साधनों का और फुल फल वगेरे के बारेमे चित्रों के माध्यम से समज डी गई है , गिनती (२१ से ५०)सुन्दर तरीके से गिनती सिखाने की कोसिस की गई है, नन्हा मुन्ना राही हूँ देशभक्ति कविता है,पुनरावर्तन 1 और दो प्रथम सत्र में है, साथ में चुटकुले और एकांकी का भी समावेश किया गया है, द्वितीय सत्र में चित्र कथा, कविता, जीवन-प्रसंग, कहानी , निबंध, और पहेलियाँ ली गई है, पुनरावर्तन 3 और ४ है .

sushant Test

by Sushant Bankar

Test

Pratinidhi Kahaniyan-Akhilesh

by Akhilesh

अखिलेश की कहानियाँ बातूनी कहानियाँ हैं . .गजब का बतरस है उनमें । वे अपने पाठकों से जमकर बातें करती हैं अपने सबसे प्यारे दोस्त की तरह गलबहियाँ लेकर वे आपको आगे और. आगे ले जाती हैं और उनमें उस तरहकी सभी बातें होती हैं जो दो दोस्तों के बीच घट सकती हैं । (कोई चाहे तो इसे कहानीपन भी कह सकता है ।) यही वजह है कि बेहद गम्भीर विषयों पर लिखते हुए भी अखिलेश की कहानियाँ . जबर्दस्ती की गम्भीरता कभी नहीं झड़ती हैं । पढ़ते हुए कई बार एक मुस्कान-सी ओठों पर आने को ही होती है । क्योंकि उनके यहाँ कोई बौद्धिक आतंक, सूचना का कोई घटाटोप या किसी और तरह का बेमतलब का जंजाल चक्कर नहीं काटता कि पाठक कहीं' और ही फँसकर रह जाए. । इन कहानियों की एक और खूबी येह भी है कि ये कहानियाँ पाठक से ही नहीं बात करती चलती बल्कि खुद उनके भीतर भी कई तरह के समानान्तर संवाद चलते रहते हैं 1 वे खुद भी अपने चरित्रों से बतियाते चलते हैं, उनके भीतर चल रही उठा- पटक को .अपने अखिलेशियन अन्दाज में' सामने लाते हुए । क्या है ये अखिलेशियन अन्दाज ! उसकी पहली पहचान यह है कि वह बिना मतलब गम्भीरता का ढोंग नहीं करते बल्कि उनकी कहानियाँ अपने पाठकों को भी थोपी हुई गम्भीरता से दूर ले जानेवाली कहानियाँ हैं. । उनकी कहानियों का गद्य मासूमियत वाले अर्थों में हँसमुख ? नहीं है बल्कि चुहल- भरा, शरारती पर साथ ही बेधनेवाला गद्य है ।

Pashchatya Vishwa (15vi shtabdi ke madhya se 1870 tak) F.Y.B.A. M.P. University

by R. Agarwal A. K. Mittal

पाश्चात्य विश्व 15वीं शताब्दी के मध्य से 1870ई. तक Western World Book मध्य प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में बी.ए. (इतिहास) प्रथम वर्ष के द्वितीय प्रश्न-पत्र के लिए निर्धारित नए वार्षिक पद्धाति के अनुसार पाठ्यक्रम पर आधारित है। नवीनतम् जानकारी व सरल भाषा होने के साथ-साथ पुस्तक में स्पष्ट मानचित्रा (Maps) व तालिकाआ (Charts) के द्वारा क्लिष्ट विषयों को भी विद्यार्थियों को समझने के अनुकूल बनाया गया है। पुस्तक पूर्णतया नवीन पाठ्यक्रम के अनुरूप है। प्रत्येक अध्याय से सम्बन्धित लघु एवं वस्तुनिष्ठ प्रश्न भी दिए गये हैं।

Samajshastra F.Y.B.A. M.P. University

by G. K. Agarwal

Samajshastra text book for F.Y.B.A According to the Latest Syllabus based on syllabus from M.P. University in Hindi

RPWD Act - Hindi-2016: आरपीडब्ल्यूडी ॲक्ट - हिंदी-2016

by Rpwd Act

दिव्यांगजनों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों को प्रभावी बनाने के लिए अधिनियम दिए गए है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने, 13 दिसम्बर, 2006 को दिव्यांगजनों के अधिकारों पर उसके अभिसमय को अंगीकृत किया था, और पूर्वोक्त अभिसमय दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए सिद्धांत अधिकथित करता है।

Akhand 1: खण्ड 1: आर्थिक समीक्षा 2018-19

by भारत सरकार वित्त मंत्रालय

आरंभ में, हम पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार के नेतृत्व के प्रति आभार व्यक्त करते हैं, जिन्होंने भारत के आर्थिक कैलेंडर में और अधिक प्रत्याशित घटनाचक्र के लिए आर्थिक समीक्षा को उच्चस्तरीय बनाया है। उन्होंने अपनी विद्वता, तपस्या के जरिए अमूल्य योगदान दिया है। और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण उनकी विचारधारा है जिसे केवल सर आईजक न्यूटन के अनश्वर भावों में ही व्यक्त किया जा सकता है: “यदि मैं औरों की अनदेखी करके, आगे की ओर देखता हूं तो लगता है कि जमीन नहीं आसमान की ओर देखकर चलता हूं” समीक्षा के ऐसे शानदार संकलन को आगे बढ़ाने के लिए बड़ी नम्रता पूर्वक प्रयास किए गए हैं।

Akhand 2: खण्ड 2: आर्थिक समीक्षा 2018-19

by भारत सरकार वित्त मंत्रालय

यह आर्थिक समीक्षा मिलजुल कर किए गए कार्य और परस्पर सहयोग का परिणाम है। आर्थिक प्रभाग से जिन व्यक्तियों का योगदान मिला है, उनमें संजीव सान्याल, सुष्मिता दासगुप्ता, अरूण कुमार झा, अरूण कुमार, राजीव मिश्र, राजश्री रे, ए. सृजा, सुरभि जैन, ए. प्रतिभा, एस. अर्पतास्वामी, निखिला मेनन, अश्विनी लाल, अभिषेक आचार्य, रजनी रंजन, सिंधुमन्निकल थंकप्पन, प्रेरणा जोशी, धर्मेंद्र कुमार, आकांक्षा अरोड़ा, एम. राहुल, रवि रंजन, तुलसीप्रिया राजकुमारी, शमीम आरा, जे.डी. वैशंपायन, आर्य वी.के., अभिषेक आनंद, सोनल रमेश, संजना काद्यान, अमित श्योरन, श्रेया बजाज, सुभाषचंद्र, रियाज़ अहमद खान, मो. आफताब आलम, प्रदयुत कुमार पाईन, नरेंद्र जेना, श्री वत्स कुमार फरीदा, मृत्युंजय कुमार, राजेश शर्मा, अमित कुमार केसरवानी, अर्पिता वायकरे, नवीन वाली, महिमा, अंकुर गुप्ता, लिपि बुद्धिराजा, सोनम गायत्री मल्होत्रा तथा लविशा अरोड़ा शामिल हैं।

Indian Politics Thinker: भारतीय राजनीति विचारक

by नेशनल पेपरबैक्स ओम् गाबा

भारतीय राजनीति-चिंतन की परंपरा पश्चिमी परंपरा से भी पुरानी है, और इसमें बहुत सारे ओजस्वी विचार भरे हैं। परंतु इसके अध्ययन को यथोचित महत्त्व नहीं मिल पाया है। देखा जाए तो आधुनिक युग में पश्चिमी सभ्यता के अभ्युदय के कारण साधारणतः पाश्चात्य राजनीति-चिंतन को ही भूमंडलीय बौद्धिक परंपरा के प्रतिनिधि के रूप में प्रस्तुत किया गया है; भारतीय राजनीति-चिंतन को छिटपुट अध्ययन का विषय बना कर छोड़ दिया गया है। वस्तुतः भारतीय चिंतन की प्राचीन, मध्ययुगीन और आधुनिक धाराओं में राजनीति की बहुत सारी समस्याओं पर इतने सुलझे हुए विचार व्यक्त किए गए हैं जो भूमंडलीय बौद्धिक परंपरा का महत्त्वपूर्ण अंग बनने की क्षमता रखते हैं, परंतु मुख्यतः हमारी उदासीनता के कारण इस क्षमता को सार्थक करने का विशेष प्रयत्न नहीं हुआ है। ‘भारतीय राजनीति-विचारक’ का प्रस्तुत संस्करण पिछले सब संस्करणों का उन्नत रूप है। आशा है, इस रूप में प्रस्तुत कृति अपने पाठक-वर्ग को न केवल भारतीय राजनीति-चिंतन की समृद्ध परंपरा से परिचित कराएगी बल्कि उन्हें मानव-समाज की समस्याओं के बारे में स्वयं चिंतन करने की प्रेरणा देगी।

Bharat Ava Vishva Ka Bhugol: भारत एवं विश्व का भूगोल

by माजिद हुसेन

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने वर्ष 2013 में सिविल सेवा मुख्य परीक्षा हेतु अपने परीक्षा पैटर्न और पाठ्यक्रम को पुनरीक्षित किया था। वर्ष 2011 में प्रारंभिक परीक्षा के आकार और पैटर्न में भी परिवर्तन किया गया था। पुनरीक्षित पाठ्यक्रम और विद्यार्थियों से प्राप्त उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के आलोक में “भारत एवं विश्व का भूगोल” पुस्तक को विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी प्रकाशनों से प्राप्त नवीनतम आंकड़ों और सूचनाओं को ध्यानपूर्वक सम्मिलित कर पुनरीक्षित और अद्यतन किया गया है। इस पुनरीक्षित संस्करण में भूगोल, पर्यावरण और पारिस्थितिकी तथा आपदा प्रबंधन के लगभग सभी विषयों को शामिल किया गया है, जोकि प्रारंभिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन पत्र—II, III और —IV में निर्धारित हैं।

Bharat ka Sanvidhan (Oxford Bharat Sankshipt Parichay)

by माधव ख़ोसला

Giving identity to over a billion people, the Indian Constitution is one of the world's great political texts. Drafted over six decades ago, its endurance and operation have fascinated and surprised many. In this short introduction, Madhav Khosla brings to light its many features, aspirations, and controversies. How does the Constitution separate power between different political actors? What form of citizenship does it embrace? And how can it change? In answering questions such as these, Khosla unravels the document's remarkable and challenging journey, inviting readers to reflect upon the theory and practice of constitutionalism in the world's largest democracy.This is the Hindi edition translated from English.

Bharat ki Videsh Niti: Punravlokan avum Sambhavnayein

by सुमित गाँगुली

This book provides a fairly comprehensive account of the evolution of India's foreign policy from 1947 to the present day. It is organized primarily in the form of India's relations with its neighbours and with key states in the global order. All the chapters in this volume utilize the level of analysis approach, a well-established conceptual scheme in the study of international politics in organizing the substantive cases. They provide crisp and lucid accounts of its developments in various parts of the world. The book is significant because there are no other viable edited volumes on the evolution of Indian foreign policy. Each chapter follows a common conceptual framework using the level of analysis approach. This framework looks at the evolution of India's foreign policy from the standpoints of systemic, national, and decision-making perspectives. In the introductory chapter, the editor carefully spells out the intellectual antecedents of the level of analysis framework in straightforward, lucid, and discursive prose, and applies to the substantive chapters in the volume. This book is the Hindi edition translated from English.

Bhartiya Arthvyastha: भारतीय अर्थव्यवस्था

by संजीव वर्मा

यूपीएससी पाठ्यक्रम के नए पैटर्न के आधार पर पूरी तरह से संशोधित और अद्यतन संस्करण - अब 4 व्यापक खंडों में संरचित- ए। घरेलू अर्थव्यवस्था, बी। बाहरी क्षेत्र- बाहर की ओर, सी। ग्लोबल इकोनॉमी और आउटलुक और डी। इंडियन इकोनॉमी रिविजिटेड, आउटलुक और चुनौतियां। पुस्तक आर्थिक मुद्दे को महान वैचारिक स्पष्टता के साथ रेखांकित करने और आवेदन के हिस्से में लाने और वर्तमान समय में इसकी प्रासंगिकता का प्रयास है। नई पीढ़ी के छात्रों को अर्थव्यवस्था को सही परिप्रेक्ष्य में समझने का प्रयास। निम्नलिखित अध्यायों में अर्थव्यवस्था में भारत सरकार द्वारा शुरू की जा रही नई अवधारणाओं, नीतियों और कार्यान्वयन को अद्यतन करने और जोड़ने के दौरान सीखने की आसानी को ध्यान में रखा गया है: 1. मुख्य विशेषताएं: नया भारत 2. गरीबी और सामाजिक क्षेत्र 3. सरकार फाइनेंसिंग और बैंकिंग 4. विदेश व्यापार नीति ... कुछ का नाम दिया जाना है निम्नलिखित वर्गों को नए संस्करण में डाला गया है: 1. भारतीय अर्थव्यवस्था तारकीय प्रदर्शन 2. भारत की अर्थव्यवस्था भर में फैले JAM 3. माल और सेवा कर: एक प्रगतिशील कर व्यवस्था 4 निति आयोग: द प्रीमियर पॉलिसी थिंक टैंक 5. स्टार्टअप इंडिया: विंग्स टू द स्काई ऊपर 6. डिमॉनेटाइजेशन पॉलिसी: काले धन के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक को कुछ ही समय में अवधारणा (ओं) को सीखने और समझने की सुविधा के लिए आरेखों के साथ समृद्ध किया गया है।

Itihas, Kaal aur Adikalin Bharat

by रोमिला थापर

In this book, Romila Thapar examines the link between time and history through the use of cyclic and linear concepts of time. While the former occurs in a cosmological context, the latter is found in familiar historical forms. The author argues for the existence of historical consciousness in early India, on the evidence of early texts. This is the Hindi edition translated from English.

Pratinidhi Kahaniyan-Geetanjali Shree

by गीतांजलि श्री

यह गीतांजलि श्री की कहानियों का प्रतिनिधि संचयन है। गीतांजलि की लगभग हर कहानी अपनी टोन की कहानी है और विचलन उनके यहाँ गभग नहीं के बराबर है और यह बात अपने आपमें आश्चर्यजनक है क्योंकि बड़े-से-बड़े लेखक कई बार बाहरी दबावों और वक़्ती ज़रूरतों के चलते अपनी मूल टोन से विचिलत हुए हैं। यह अच्छी बात है कि गीतांजलि श्री ने अपनी लगभग हर कहानी में अपनी सिग्नेचर ट्यून को बरकरार रखा है। लेकिन सवाल यह है कि गीतांजलि कीकहानियों की यह मूल टोन आखिर है क्या? एक अजीब तरह का फक्कड़पन, एक अजीब तरह की दार्शनिकता, एक अजीब तरह की भाषा और एक अजीब तरह की रवानी। लेकिन ये सारी अजीबियतें ही उनके कथाकार को एक व्यक्तित्व प्रदान करती हैं। यहाँ यह कहना ज़रूरी है कि यह सब परम्परा से हटकर है और परम्परा में समाहित भी।

Pratinidhi Kahaniyan-Amarkant

by अमरकांत

अमरकांत की कहानियों में मध्यवर्ग, विशेषकर निम्न-मध्यवर्ग के जीवनानुभवों और जिजीविषाओं का बेहद प्रभावशाली और अन्तरंग चित्रण मिलता है ! अक्सर सपाट-से नजर आनेवाले कथ्यों में भी वे अपने जिवंत मानवीय संस्पर्श के कारण अनोखी आभा पैदा कर देते हैं ! सहज-सरल रूपबंधवाली ये कहानियां जिंदगी की जटिलताओं को जिस तरह समेटे रहती हैं, कभी-कभी उससे चकित रह जाना पड़ता है ! लेकिन यह अमरकांत की ख़ास शैली है ! अमरकांत के व्यक्तित्व की तरह उनकी भाषा में भी एक ख़ास किस्म की फक्कड़ता है ! लोक-जीवन के मुहावरों और देशज शब्दों के प्रयोग से उनकी भाषा में माटी का सहज स्पर्श तथा ऐसी सोंधी गंध रच-बस जाती है जो पाठकों को किसी छदम उदात्तता से परे, बहुत ही निजी लोक में, ले जाती है ! उनमे छिपे हुए व्यंग्य से सामान्य स्थितियाँ भी बेहद अर्थव्यंजक हो उठती हैं ! अमरकांत के विभिन्न कहानी-संग्रहों में चरित्रों का विशाल फलक ‘जिन्दगी और जोंक’से लेकर ‘मित्र मिलन’ तक फैला हुआ है ! उन्ही संग्रहों की लगभग सब चर्चित कहानियां एक जगह एकत्र होने के कारण इस संकलन की उपादेयता निश्चित रूप से काफी बढ़ गई है !

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